सात हजार से ज्यादा स्कूलों में पदस्थ है एक शिक्षक
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कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी ने उठाए सवाल, कहा गंभीर नहीं सरकार
भोपाल। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार से सवाल पूछे हैं। पटवारी ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि प्रदेश के 7793 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक है। इतना ही नहीं दो हजार से ज्यादा स्कूल तो ऐसे हैं, जहां शिक्षक ही नहीं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का आरोप है प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
पटवारी ने कहा कि प्रदेश के 47 जिलों के 7 हजार 793 स्कूल सिर्फ एक टीचर के भरोसे चल रहे हैं। विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है और 554 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है। कांग्रेस ने प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को निशाने पर लिया है। पटवारी ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार यह बताएगी कि प्रदेश के स्कूलों की इस स्थिति में कितना सुधार हुआ है? सरकार झूठे आंकड़ों के जरिए सच्चाई छुपाने वाली सरकार शिक्षा को लेकर अपने सरोकार साफ करे। पटवारी ने राज्य शिक्षा पोर्टल 2.0 के आंकड़ों के आधार पर कहा कि ’प्रदेश के 2621 स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है. 47 जिलों में 7793 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे है, जबकि 554 स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है. यही स्थिति चंबल इलाके की भी है। चंबल अंचल में 1246 स्कूल में सिर्फ 1 टीचर है और 558 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है।
महाकौशल में 140 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
महाकौशल क्षेत्र में 710 स्कूलों में एक शिक्षक है और 140 स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। मध्य भारत के 1147 स्कूलों में एक शिक्षक है और 363 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 1512 स्कूलों में एक शिक्षक है और 471 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। बुंदेलखंड क्षेत्र में 1431 स्कूलों में एक शिक्षक ही है और 537 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है।
शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं सरकार
पटवारी ने सवाल किया कि प्रदेश सरकार बताए कि इस स्थिति में अब कितना सुधार हुआ है। यदि कुछ शिक्षकों की भर्ती हुई है, तो उस अनुपात में बच्चे भी बढ़ गए हैं। वर्तमान में शिक्षक और विद्याथ्रियों की उपस्थिति का अनुपात कितना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सच्चाई यह है कि प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
भोपाल। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार से सवाल पूछे हैं। पटवारी ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि प्रदेश के 7793 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक है। इतना ही नहीं दो हजार से ज्यादा स्कूल तो ऐसे हैं, जहां शिक्षक ही नहीं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का आरोप है प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
पटवारी ने कहा कि प्रदेश के 47 जिलों के 7 हजार 793 स्कूल सिर्फ एक टीचर के भरोसे चल रहे हैं। विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है और 554 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है। कांग्रेस ने प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को निशाने पर लिया है। पटवारी ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार यह बताएगी कि प्रदेश के स्कूलों की इस स्थिति में कितना सुधार हुआ है? सरकार झूठे आंकड़ों के जरिए सच्चाई छुपाने वाली सरकार शिक्षा को लेकर अपने सरोकार साफ करे। पटवारी ने राज्य शिक्षा पोर्टल 2.0 के आंकड़ों के आधार पर कहा कि ’प्रदेश के 2621 स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है. 47 जिलों में 7793 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे है, जबकि 554 स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है. यही स्थिति चंबल इलाके की भी है। चंबल अंचल में 1246 स्कूल में सिर्फ 1 टीचर है और 558 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है।
महाकौशल में 140 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
महाकौशल क्षेत्र में 710 स्कूलों में एक शिक्षक है और 140 स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। मध्य भारत के 1147 स्कूलों में एक शिक्षक है और 363 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 1512 स्कूलों में एक शिक्षक है और 471 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। बुंदेलखंड क्षेत्र में 1431 स्कूलों में एक शिक्षक ही है और 537 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है।
शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं सरकार
पटवारी ने सवाल किया कि प्रदेश सरकार बताए कि इस स्थिति में अब कितना सुधार हुआ है। यदि कुछ शिक्षकों की भर्ती हुई है, तो उस अनुपात में बच्चे भी बढ़ गए हैं। वर्तमान में शिक्षक और विद्याथ्रियों की उपस्थिति का अनुपात कितना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सच्चाई यह है कि प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।