CAA: किसी को नहीं मिलेगा देश निकाला, सीएए पर ने गृह मंत्रालय ने दूर की गलतफहमियां
नई दिल्ली. केंद्र सरकार की ओर से नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके बाद गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इसके नियमों के संबंध में कहा कि सीएए को लेकर कई गलतफहमियां फैलाई गई हैं. यह किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनेगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. CAA-2019 के तहत योग्य व्यक्ति नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
सीएए से जुड़े मिथकों को तोड़ते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सीएए में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है. इसका वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है, जिनके पास अपने हिंदू समकक्षों की तरह समान अधिकार हैं.
इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. इसके अलावा एमएचए ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पुनर्वास और नागरिकता के लिए कानूनी बाधाओं को खत्म करता है. इस कानून से व्यक्तियों की सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.
सीएए के तहत नागरिकता किस तारीख से दी जाएगी, इस सवाल पर एमएचए पोर्टल पर कहा गया है कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 बी के तहत रजिस्ट्रार की ओर से नागरिकता देने की तारीख से व्यक्तियों को भारत का नागरिक माना जाएगा. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि सीएए के तहत नागरिकता कानून में निर्धारित पूर्वव्यापी प्रभाव से दी जाएगी. अधिकारी ने कहा कि आवेदक के भारत में प्रवेश की तारीख सीएए के तहत भारतीय नागरिकता देने की तारीख होगी. यह 10 साल पहले, 15 साल पहले या 25 साल पहले हो सकती है.
सीएए को ऐसे जानिए
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए सक्षम बनाता है, जिन्होंने धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण मांगी थी.
- इसमें 6 अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं.
- ये कानून पुनर्वास और नागरिकता के लिए कानूनी बाधाएं दूर करता है.
- यह उन शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन देगा जो दशकों से पीड़ित हैं.
- नागरिकता अधिकार उनकी सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान की रक्षा करेगा.
- यह आर्थिक, वाणिज्यिक, मुक्त आवाजाही और संपत्ति खरीद अधिकार भी सुनिश्चित करेगा.
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