शीतकालीन सत्र- 92 सांसद सस्पेंड! सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह अच्छे संकेत नहीं हैं?
अभिमनोज. संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को जोरदार हंगामा हुआ, जिसके चलते संसद के दोनों सदनों से 78 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया, जिनमें से 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा के सदस्य हैं, इन्हें मिलाकर अब तक दोनों सदनों से कुल 92 सांसद सस्पेंड किए जा चुके हैं.
दरअसल, सांसद तब सस्पेंड किए जाते हैं, जब सभापति को महसूस होता है कि- ऐसे सदस्य सभापीठ के अधिकारों को नजरअंदाज करते हुए बार-बार और जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं.
जानकारों का कहना है कि सभापति किसी सांसद को निश्चित समय अवधि के लिए ही सस्पेंड कर सकते हैं, लेकिन किसी सदस्य को एक सत्र से ज्यादा के लिए सस्पेंड नहीं किया जा सकता है.
भारत का प्रजातंत्र संपूर्ण विश्व के लिए आदर्श रहा है, क्योंकि यहां पक्ष-विपक्ष मिलकर देशहित के फैसले करते रहे हैं, लेकिन कुछ समय से सारे फैसले सत्ता पर केंद्रित और एकतरफा होते जा रहे हैं, जिसके नतीजे में विपक्ष के सुझाव, विरोध बेमतलब होता जा रहा है?
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते हैं!
देश में पक्ष-विपक्ष के प्रमुख नेताओं को इस पर चिंतन करना चाहिए और फिर से संसद में बेहतर व्यवस्था बनाने का संकल्प लिया जाना चाहिए, जहां सत्ता पक्ष, विपक्ष के सुझावों, विरोध आदि को नजरअंदाज नहीं करे और किसी फैसले में कमी है, तो उसे सुधारा जाए, संशोधित किया जाए, जैसा है वैसा ही लागू करने का एकतरफा निर्णय नहीं हो, यदि कोई समस्या है, तो आरोप-प्रत्यारोप के बजाए सभी मिलकर समाधान तलाशे, तभी विश्व के सबसे बड़े और बेहतर लोकतंत्र का सम्मान बना रहेगा?
इस पर प्रतिक्रियाएं भी आई हैं….
Jairam Ramesh @Jairam_Ramesh सिर्फ़ लोकसभा में ही नहीं आज राज्यसभा में भी ब्लडबाथ हुआ और 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा चूक पर गृह मंत्री के बयान की मांग करने और नेता प्रतिपक्ष को बोलने की इजाज़त देने की मांग करने पर INDIA की पार्टियों के 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया.
मैं भी अपने 19 साल के संसदीय करियर में पहली बार इस सम्मान सूची में शामिल हूं.
यह Murder Of Democracy in India है (MODI)!
13 दिसंबर को हुई ख़तरनाक सुरक्षा चूक पर गृह मंत्री से बयान देने की मांग करने की वजह से 14 दिसंबर को INDIA के 13 सांसदों को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था, आज INDIA के 33 और सांसदों को पूरी तरह से वैध मांग करने के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया, इनमें कई फ्लोर लीडर भी हैं, तानाशाही का दूसरा नाम मोदीशाही है, यह सिर्फ सांसदों का नहीं लोकतंत्र का निलंबन है!