केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर में आज 1 जनवरी से कोयले के उपयोग पर लगाया पूर्ण प्रतिबंध
दिल्ली. केंद्र सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में उद्योगों और कमर्शियल क्षेत्रों में कोयले के प्रयोग पर आज रविवार 1 जनवरी 2023 से पूर्ण प्रधिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही गैरकानूनी ईंधन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आज से औद्योगिक क्षेत्र, घरेलू और अन्य विविध अनुप्रयोगों में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं. वहीं केंद्र सरकार के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि ताप विद्युत संयंत्रों में कम सल्फर वाले कोयले के उपयोग की अनुमति दी गई है.
बताया जा रहा है कि 1 जनवरी से शुरू हुए कोयले के प्रयोग के ये प्रतिबंध सीएक्यूएम द्वारा पिछले साल जुलाई में जारी व्यापक नीति का हिस्सा है. इस नीति के तहत अगले पांच सालों में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्षेत्रवार कार्ययोजनाओं की लिस्ट तैयार की गई है. अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे बिना किसी कारण बताओ नोटिस के कोयले सहित गैर-कानूनी ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों और कमर्शियल उद्योगों को बंद कर दें.
सीएक्यूएम के एक अधिकारी ने कहा कि चूक करने वाली इकाइयों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि पैनल ने छह महीने पहले प्रतिबंध की घोषणा की थी, जिससे सभी उद्योगों को स्वच्छ ईंधन पर जाने के लिए पर्याप्त समय मिल गया था. कैप्टिव थर्मल पावर प्लांट्स में लो-सल्फर कोयले के उपयोग की भी अनुमति है. अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इसका उपयोग प्राथमिक उद्देश्य बिजली उत्पादन में किया जा सकता है.
जलाऊ लकड़ी और बायोमास ब्रिकेट का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों और दाह संस्कार के लिए किया जा सकता है. लकड़ी या बांस के चारकोल का उपयोग होटल, रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल में उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली के साथ और खुले भोजनालयों या ढाबों के तंदूर और ग्रिल के लिए किया जा सकता है. सीएक्यूएम ने पहले कहा था कि कपड़े की इस्त्री के लिए लकड़ी के चारकोल के इस्तेमाल की अनुमति है.
वहीं आयोग ने जून में 1 जनवरी, 2023 से पूरे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में औद्योगिक, घरेलू और अन्य विविध अनुप्रयोगों में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए थे. गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक अनुप्रयोगों में सालाना लगभग 1.7 मिलियन टन कोयले का उपयोग किया जाता है. अकेले 6 प्रमुख औद्योगिक जिलों में लगभग 1.4 मिलियन टन कोयले की खपत होती है.