ग्वालियर-चंबल की सीटों पर सेंधमारी की कोशिश में शाह
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कमजोर रिपोर्ट के बाद बढ़ाई सक्रियता, नेताओं को झोंका, संघ भी मैदान में
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में पिछले चुनाव में कमजोर हुई भाजपा ने इस बार फिर इस अंचल पर कब्जा जमाने की रणनीति पर काम करना तेज कर दिया है। सिंधिया के मजबूत इस किले में एक तरह से सिंधिया के हाथ में कमान सौंप कर खुद केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने इस अंचल में सक्रियता बढ़ाई दी है। कई केन्द्रीय नेताओं ने भी डेरा डाल दिया है। साथ ही संघ भी मैदान में उतारा है।
प्रदेश में भाजपा को सत्ता की राह दिखाने वाले ग्वालियर-चंबल अंचल को कमजोर होता देख अब भाजपा ने इस बार पूरी ताकत इस अंचल में लगा दी है। 2013, 2018 में जब भी भाजपा ने सरकार बनाई उसे इस अंचल का खासा साथ मिला। ज्यादा सीटें भी भाजपा ने इस अंचल में पाई, मगर 2018 के चुनाव में इस अंचल की 34 सीटों में से भाजपा के पास केवल 7 सीटें ही रही थी, जबकि शेष सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई। इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का नेतृत्व से इस अंचल में संभाले हुए थे। इसे देख भाजपा ने देर नहीं लगाई और पंद्रह माह की कांग्रेस सरकार को सिंधिया को अपने पाले में लाकर गिरा दी। सिंधिया भाजपा में आ गए और सरकार भी बन गई। मगर विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही भाजपा में पुराने नेताओं और सिंधिया समर्थकों के बीच खाई भी बढ़ी। टिकट वितरण के दौरान भाजपा को खासी परेशानी भी हुई। इसके बाद भी इस कमजोर कड़ी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री अमित शाह मजबूत करने का प्रयास करते रहे। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर को चुनाव मैदान में उतारकर एक बार फिर उन्होंने इस अंचल की कमान सिंधिया को सौंपी है। सिंधिया को सक्रिय कर खुद अमित शाह अब इस अंचल में मैदान में उतरे हैं। साथ ही केन्द्रीय नेताओं को भी इस अंचल में सक्रिय कर दिया है। शाह का फार्मूला साफ है कि सिंधिया के नेतृत्व में ही इस गढ़ को भाजपा मजबूत करेगी। इस लिहाज से सिंधिया ने भी अंचल में सक्रियता बढ़ाई। प्रतिदिन वे सभाएं करने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ दर्जनों बैठकें भी कर रहे हैं।
सिंधिया समर्थकों को लेकर जब अनबन की बातें सामने आई तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधिया के साथ दो मर्तबा इस अंचल का दौरा किया, इसके बाद अमित शाह ने सक्रियता बढ़ाकर संदेश साफ कर दिया कि अंचल में सिंधिया का प्रभाव ही रहेगा। अब जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ रहा है, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर अपने विधानसभा क्षेत्र दिमनी तक सक्रिय नजर आ रहे हैं, जबकि सिंधिया पूरे अंचल में स्टार प्रचारक की भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। भाजपा सिंधिया के नेतृत्व में इस अंचल में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा जमाने का प्रयास कर रही है।
संघ ने भी बढ़ा दी सक्रियता
कमजोर होते ग्वालियर-चंबल को बचाने के लिए भाजपा का साथ देने अब संघ के स्वयंसेवक भी मैदान में उतरे हैं। संघ ने इन क्षेत्रों में सीधे चुनाव-प्रचार न करते हुए विचारधारा से जुडे लोगों को भाजपा के पक्ष में सक्रिय करने के लिए अपनी टोलियों को चुनावी समर में उतार दिया है। बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। स्वयंसेवक बैठकों और व्यक्तिगत मुलाकात कर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार करने में जुटे हैं।
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में पिछले चुनाव में कमजोर हुई भाजपा ने इस बार फिर इस अंचल पर कब्जा जमाने की रणनीति पर काम करना तेज कर दिया है। सिंधिया के मजबूत इस किले में एक तरह से सिंधिया के हाथ में कमान सौंप कर खुद केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने इस अंचल में सक्रियता बढ़ाई दी है। कई केन्द्रीय नेताओं ने भी डेरा डाल दिया है। साथ ही संघ भी मैदान में उतारा है।
प्रदेश में भाजपा को सत्ता की राह दिखाने वाले ग्वालियर-चंबल अंचल को कमजोर होता देख अब भाजपा ने इस बार पूरी ताकत इस अंचल में लगा दी है। 2013, 2018 में जब भी भाजपा ने सरकार बनाई उसे इस अंचल का खासा साथ मिला। ज्यादा सीटें भी भाजपा ने इस अंचल में पाई, मगर 2018 के चुनाव में इस अंचल की 34 सीटों में से भाजपा के पास केवल 7 सीटें ही रही थी, जबकि शेष सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई। इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का नेतृत्व से इस अंचल में संभाले हुए थे। इसे देख भाजपा ने देर नहीं लगाई और पंद्रह माह की कांग्रेस सरकार को सिंधिया को अपने पाले में लाकर गिरा दी। सिंधिया भाजपा में आ गए और सरकार भी बन गई। मगर विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही भाजपा में पुराने नेताओं और सिंधिया समर्थकों के बीच खाई भी बढ़ी। टिकट वितरण के दौरान भाजपा को खासी परेशानी भी हुई। इसके बाद भी इस कमजोर कड़ी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री अमित शाह मजबूत करने का प्रयास करते रहे। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर को चुनाव मैदान में उतारकर एक बार फिर उन्होंने इस अंचल की कमान सिंधिया को सौंपी है। सिंधिया को सक्रिय कर खुद अमित शाह अब इस अंचल में मैदान में उतरे हैं। साथ ही केन्द्रीय नेताओं को भी इस अंचल में सक्रिय कर दिया है। शाह का फार्मूला साफ है कि सिंधिया के नेतृत्व में ही इस गढ़ को भाजपा मजबूत करेगी। इस लिहाज से सिंधिया ने भी अंचल में सक्रियता बढ़ाई। प्रतिदिन वे सभाएं करने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ दर्जनों बैठकें भी कर रहे हैं।
सिंधिया समर्थकों को लेकर जब अनबन की बातें सामने आई तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधिया के साथ दो मर्तबा इस अंचल का दौरा किया, इसके बाद अमित शाह ने सक्रियता बढ़ाकर संदेश साफ कर दिया कि अंचल में सिंधिया का प्रभाव ही रहेगा। अब जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ रहा है, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर अपने विधानसभा क्षेत्र दिमनी तक सक्रिय नजर आ रहे हैं, जबकि सिंधिया पूरे अंचल में स्टार प्रचारक की भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। भाजपा सिंधिया के नेतृत्व में इस अंचल में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा जमाने का प्रयास कर रही है।
संघ ने भी बढ़ा दी सक्रियता
कमजोर होते ग्वालियर-चंबल को बचाने के लिए भाजपा का साथ देने अब संघ के स्वयंसेवक भी मैदान में उतरे हैं। संघ ने इन क्षेत्रों में सीधे चुनाव-प्रचार न करते हुए विचारधारा से जुडे लोगों को भाजपा के पक्ष में सक्रिय करने के लिए अपनी टोलियों को चुनावी समर में उतार दिया है। बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। स्वयंसेवक बैठकों और व्यक्तिगत मुलाकात कर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार करने में जुटे हैं।