MP में 13 दिग्गजों के साथ BJP लड़ेगी विधानसभा चुनाव, बनाई ये रणनीति
भोपाल (Bhopal) । लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) से पहले सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा (BJP) नेतृत्व बेहद गंभीर है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी बनाकर भाजपा ने साफ कर दिया है कि चुनावी रणनीति में वह राज्य की खेमेबाजी और आपसी नाराजगी को आड़े नहीं आने देगी। पार्टी सत्ता के उपर संगठन को तरजीह देगी और सभी बड़े नेताओं को साथ लेकर चलेगी। राज्य में अब तीन संगठन प्रभारियों के साथ दो चुनाव प्रभारी होंगे।
मध्य प्रदेश में भाजपा नेतृत्व 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाने को लेकर शुरू से ही काफी सतर्क रहा है। लगभग सवा साल बाद कांग्रेस में हुई टूट से वह सत्ता में वापस तो आया है, लेकिन वह मौजूदा स्थिति में कांग्रेस की स्थिति को लेकर किसी तरह की गलतफहमी भी नहीं रखना चाहता है।
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि राज्य में 20 सालों ( बीच के सवा साल छोड़कर) से भाजपा लगातार सत्ता में है। ऐसे में सत्ता विरोधी माहौल होना स्वाभाविक है। पिछले चुनाव में भी इसका सामना करना पड़ा था, जिसका नुकसान भी हुआ था, लेकिन इस बार भाजपा सतर्क है।
लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव वाले सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की सबसे मजबूत चुनावी टीम होगी। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व के साथ पार्टी की चुनावी टीम में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव के साथ राज्य से राज्यसभा सांसद होने के कारण धर्मेंद्र प्रधान भी अहम भूमिका में रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेताओं को विभिन्न मुद्दों पर राज्य के चार प्रभावी नेता नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय व ज्योतिरादित्य सिंधिया मदद करेंगे। संगठन की दृष्टि से मध्य प्रदेश को कई प्रमुख नेता देख रहे हैं। इनमें संयुक्त महामंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल के साथ राज्य के संगठन मंत्री हितानंद शर्मा शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय संगठन प्रभारी मुरलीधर राव व सह प्रभारी पंकजा मुंडे और रमाशंकर कठेरिया भी मध्य प्रदेश की टीम के प्रमुख चेहरे हैं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के अंदरूनी आकलन में मौजूदा विधायकों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। चुनावी योजना में लगभग आधे विधायकों को बदलने की बात सामने आ सकती है। इसके अलावा भूपेंद्र यादव के सामने एक बड़ी चुनौती ग्वालियर-चंबल संभाग की होगी, जहां सिंधिया के साथ कांग्रेस से आए नेताओं और भाजपा के पुराने नेताओं के बीच सामंजस्य बनाना है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व राज्य में संगठन प्रभारियों की भूमिका को लेकर बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं है। ऐसे में चुनावों तक चुनाव प्रभारी रणनीति के केंद्र में रहेंगे और सभी उनके साथ मिलकर काम करेंगे।