अखिलेश बोले-पार्टी में आपसी गुटबंदी नहीं चलेगी, शिवपाल के करीबी बने मेरठ जिलाध्यक्ष
लखनऊ. सियासी मोर्चे पर बाहरी लड़ाई लड़ने से पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी और संगठन में आंतरिक लड़ाई को खत्म करने में जुटे हैं। गुरुवार को पार्टी कार्यालय पर आयोजित बैठक में अखिलेश ने साफ कहा कि पार्टी में अब आपसी गुटबंदी नहीं चलेगी। समाजवादी कार्यकर्ता इस बार चूक न करें। बूथ स्तर पर लोकतंत्र को बचाना है। लोकसभा चुनाव बहुत ही गंभीरता से लड़ना और जीतना है।
अखिलेश ने कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये चुनाव आने वाली पीढ़ी और देश का भविष्य भी तय करने वाले साबित होंगे। सपा यूपी में भाजपा को पराजित कर जनता की उम्मीदों को पूरा करेगी। हमारे पास भविष्य का विजन और विकास का मॉडल है। जनता सपा पर ही उसके सपनों को पूरा करने की क्षमता पर भरोसा रखती है।
सपा मुखिया ने कहा कि एकजुटता, निष्ठा और ईमानदारी से बूथ मजबूत करने के लिए अभी से जुट जाएं। इस बार लोकसभा चुनाव में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता सपा की सरकार बनाना चाहती थी, लेकिन भाजपा ने सत्ता के दुरुपयोग, झूठ, छल और बल से परिणाम को प्रभावित किया। इस बार ऐसा न होने पाए, इसके लिए जमीन पर पूरी मेहनत से जुटें। सपा सरकार में विकास के जो मानक तय किए थे, वही ‘समाजवादी मॉडल’ है, जिससे लोक कल्याणकारी राज्य का निर्माण होता है।
गुटबंदी दूर करने की नसीहत को नीचे तक पहुंचाने के लिए अखिलेश खुद भी समन्वय और समायोजन की राह पर हैं। मैनपुरी उपचुनाव के समय परिवार में उपजी एकता को आगे बढ़ाने पर ध्यान है, इसलिए शिवपाल यादव को भी ठीक से अहमियत दी जा रही है, जिससे नीचे तक समर्थकों में सब कुछ ठीक होने का संदेश जाए। मंचों और कार्यक्रमों में मौजूदगी के साथ ही संगठन में भागीदारी की राह भी खुल रही है। मेरठ में शिवपाल के करीबी विपिन चौधरी को अखिलेश ने जिलाध्यक्ष बनाया है। विपिन शिवपाल के साथ उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में चले गए थे और तीन साल तक प्रसपा के मेरठ जिलाध्यक्ष भी रहे। अब विपिन सपा के कोर संगठन की कमान संभालेंगे। अखिलेश ने निकाय चुनाव के पहले जयवीर सिंह को मेरठ का जिलाध्यक्ष बनाया था, लेकिन उन्होंने मंगलवार को सपा को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया।