एक्शन भरपूर है फिल्म- किसी का भाई किसी की जान
सलमान खान की रिलीज हुई फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ उनके फैंस के लिए तैयार की गई फिल्म है. इस फिल्म में सिर्फ सलमान ही नहीं, बल्कि शहनाज गिल, पलक तिवारी, जस्सी गिल, राघव जुएल, सिद्धार्थ जैसे कई नए कलाकार हैं, जिनके साथ फरहाद सामजी ने ये खिलवाड़ किया है. सबसे पहले तो ये साफ है कि ये एक पूरी तरह सलमान खान की फिल्म है, जिसमें सलमान के अलावा कुछ नहीं. वही रक्षक हैं, वहीं मारक शक्ति है. फिल्म का हर किरदार बस उन्हें ‘भाईजान’ बनाने में लगा है. बाकी किरदार क्यों हैं, उनकी कहानी क्या है, उनका कनेक्शन ऐसी गैर जरूरी चीजों को दिखाने या बताने की निर्देशक ने कतई तकलीफ नहीं उठाई है. फिल्म का फर्स्ट हाफ कमजोर है एक भी सीन ऐसा नहीं है जिसे देखकर आपको कुछ नयापन लगे. हालांकि पूरी फिल्म में एक भी सीन या हिस्सा ऐसा नहीं है जो आपने इस फिल्म से पहले किसी और फिल्म में न देखा हो. इतना ही नहीं, दिल्ली की चलती हुई मेट्रो में दसियों गुंडों को मार डाला पर न तो मेट्रो ही रुकती है और न ही कोई पुलिस आती है.
कहानी- भाईजान (सलमान खान) और उनके तीन भाई मोह (जस्सी गिल), इश्क (राघव जुएल) लव (सिद्धार्थ). तीनों उन्हें ‘भाईजान’ कहते हैं और यही वजह है कि पूरा मोहल्ला ही उन्हें ‘भाईजान’ कहता है. इसी मोहल्ले की जमीन हथियाना चाहता है पावरफुल एमएलए महावीर (वीजेंद्र सिंह) लेकिन उसके लिए मुसीबत बनकर खड़ा है भाईजान. इनका असली नाम किसी को नहीं पता. दूसरी तरफ अपने भाइयों के लिए भाईजान ने कभी शादी नहीं की क्योंकि लड़की आकर घर तोड़ देगी. पर तीनों छोटे भाइयों की गर्लफ्रेंड बन गई है. वो शादी करना चाहते हैं और इलाज निकाला कि भाईजान की हो जाएगी तो छोटों की भी हो जाएगी. फिर एंट्री होती है साउथ इंडियन भाग्यलक्ष्मी (पूजा हेगड़े) की जिसे देखते ही छोटे भाई इसे भाभी मान लेते हैं. दूसरी तरफ भाग्यलक्ष्मी का भी भाई (वेंकटेश) है जो हिंसा से बहुत दूर है. आगे क्या होता है, इसके लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा.
इस फिल्म में एक्शन भरपूर है और आपको अगर सिर्फ एक्शन देखना है तो ये फिल्म आपके लिए है. लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं. सलमान खान इस फिल्म में भी वही कर रहे हैं जो वह अपनी हर फिल्म में करते हैं. इसलिए उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता. लेकिन निर्देशक फरहाद सामजी ने इस फिल्म को जिस तरीके से गुथा है, इससे साफ है कि उन्होंने अपनी पुरानी फ्लॉप फिल्मों से कुछ नहीं सीखा और एक और बेहद ‘ऐवरेज मसाला’ फिल्म बना दी है. इस फिल्म में निर्देशक ने किसी बारीकी से काम किया है, आप इस उदाहरण से समझिए कि एक सीन में एक्शन सीक्वेंस चल रहा है और सतीश कौशिक का किरदार चाचा को गोली लगती है. उनके दोस्त उठाकर उन्हें अंदर ले जाते हैं और उसी सीन के आखिर में जब सलमान खान एक्शन सीन कर रहे हैं तो वहीं चाचाजी ‘भाईजान’ के लिए पट्टी बांधकर तालियां बजाते दिख रहे हैं.