हम जनसेवक हैं, जनता की सेवा करें, अहंकार नहीं करना चाहिए
अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने कहा बिना लेन-देन के पूरे काम हो, यही राम राज्य
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि अधिकारियों को पद का अहंकार नहीं करना चाहिए। हम सभी जनसेवक हैं, जनता की सेवा करें। मुझे लेन-देन की शिकायतें नहीं मिलनी चाहिए। बिना लेन-देन के पूरे मध्य प्रदेश में काम हो, यही रामराज्य है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी में प्रशासन अकादमी में सिविल सेवा डे के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह नसीहत दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपका जीवन सिर्फ अपने लिए नहीं अपनों के लिए होता है। जन-कल्याण सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है। आम जनता से जुड़े छोटे-छोटे कार्य, वास्तव में बड़े-बड़े कार्य होते हैं। सिविल सेवक इन कार्यों को समय पर पूरा करवा लें, यही सुशासन है। उन्होंने कहा कि बिना लेन-देन के लोगों के काम हों, लोगों को काम के लिए कहीं भटकना न पड़े. आपका जीवन आपका नहीं, ये गरीब लोगों के लिए भी है. हम सब जनसेवक हैं, जो कुछ भी है जनता के लिए है. हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि सरकार और जनता के बीच की दूरी कम हुई है।
लोग अपने काम के लिए भटकें नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 10 से 25 मई तक समस्याओं के निराकरण के लिए पुनः अभियान संचालित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवकों को यह चुनौती स्वीकार करना है कि नागरिकों को अपने कामों के लिए भटकना न पड़े। गाँव और शहरों के वार्डों में शिविरों के माध्यम से समस्याएं हल की जाएं। सीएम हेल्प लाइन सहित सुशासन की दिशा में अनेक उपायों को लागू किया गया। जन सुनवाई, वन-डे गर्वेनेंस और समाधान ऑनलाइन ऐसे ही उपाय हैं। इनको तकनीकी से जोड़ कर कार्यों के निपटारे के साथ सामने आने वाली विसंगतियों को भी दूर करने पर ध्यान देना है।
निराशा से घिरे व्यक्ति को उत्साहित करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवक एक लीडर भी हैं और उनका दायित्व सभी को समदृष्टि से देखकर सबका उत्साह भी बढ़ाना है। व्यक्ति में अहंकार न हो। उत्साह में कमी न हो। धैर्य के साथ समस्याओं के समाधान का रास्ता निकाला जाए। मनोवृत्ति यह होना चाहिए कि किसी निराशा से घिरे व्यक्ति को भी उत्साहित कर दें। व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा बन भी जाता है। सिविल सेवक सिर्फ अपने लिए कार्य नहीं करता बल्कि उसके कार्य से जनता और पूरा देश प्रभावित होता है। अप्रासंगिक कार्य को भी प्रासंगिक बनाने की कला होना चाहिए।