भारत को तेल निर्यात के लिए रूस और सऊदी अरब में मची होड़
नई दिल्ली (New Delhi)। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश (World’s third largest oil importing country) भारत (India) को तेल निर्यात करने के लिए दो प्रमुख तेल उत्पादक देश रूस और सऊदी अरब (Russia and Saudi Arabia) में होड़ मची है. सऊदी अरब अपने कच्चे तेल को आकर्षक कीमत पर भारत को निर्यात कर अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
वहीं, यूक्रेन से जंग (ukraine war) के कारण पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध का सामना कर रहा रूस अपनी अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए भारत को ज्यादा से ज्यादा तेल निर्यात करना चाहता है. भारत ज्यादा से ज्यादा रूसी तेल खरीदे, इसके लिए रूस रियायत कीमतों के साथ भारत को तेल निर्यात कर रहा है।
एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार, रूस ने मार्च महीने में भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को रिकॉर्ड प्रति दिन 1.64 मिलियन बैरल कच्चा तेल निर्यात किया. इसके बावजूद भारतीय तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है. इसका एक अहम कारण है तेल निर्यात में रूस के प्रतिद्वंद्वी सऊदी अरब का भारत को तेल ज्यादा निर्यात करना।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने मार्च महीने में भले ही भारत को रिकॉर्ड स्तर पर तेल निर्यात किया हो, लेकिन भारतीय तेल बाजार में उसकी हिस्सेदारी में कमी आई है. फरवरी महीने में जहां भारतीय तेल बाजार में रूस की हिस्सेदारी 34.5% थी. मार्च महीने में वह घटकर 34% हो गई. वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब की हिस्सेदारी फरवरी में 15% से बढ़कर मार्च में 20% हो गई है.
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले रूस भारत के लिए एक मामूली तेल आपूर्तिकर्ता देश था. लेकिन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत ने रूस से रियायती कीमतों पर भारी मात्रा में कम सल्फर या स्वीट ग्रेड वाला तेल खरीदता है. हालांकि, फ्लैगशिप यूराल ग्रेड ऑयल का निर्यात पहले की ही स्थिति में है.
भारतीय तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी घटी
वोर्टेक्सा के विश्लेषक सेरेना हुआंग का कहना है कि यूराल ग्रेड के रूसी तेल आयात का स्थिर होना यह दर्शाता है कि भारत मिडिल ईस्ट के खाड़ी देशों के साथ अपने अनुबंध को पूरा करने और अधिक सोर ग्रेड के कच्चे तेल आयात करने पर जोर दे रहा है. हालांकि, घरेलू रिफाइन कंपनियां अपनी जरूरत के हिसाब से स्वीट ग्रेड वाले तेल की खरीद बढ़ा सकती हैं.
ऑयल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि भारतीय तेल रिफाइन कंपनियां आसानी से यूराल ग्रेड के लिए डॉलर में भुगतान कर सकती हैं क्योंकि इसकी कीमत पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए 60 डॉलर की सीमा से कम है. वहीं, अन्य रूसी ग्रेड के भुगतान के लिए वैकल्पिक मुद्राओं की तलाश करनी होगी. ऐसे में भारतीय तेल आयात में गैर-यूराल श्रेणी की हिस्सेदारी बढ़ाने का मतलब भुगतान की कठिन प्रक्रिया से गुजरना है.
तेल निर्यात का खेल बदला, रूस से निर्यात बढ़ा
मार्च महीने में भारत ने चीन और यूरोप से भी ज्यादा रूसी तेल खरीदा किया है. चीन ने 1.4 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चे तेल आयात किया है. वहीं, यूरोप ने रूस से 0.3 मिलयन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा. भारत ने मार्च महीने में रिकॉर्ड 1.64 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा.
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान भारत ने दुनिया भर के तेल उत्पादक देशों से कुल 1.27 अरब बैरल तेल खरीदा. इसमें से लगभग 19 प्रतिशत तेल भारत ने अकेले रूस से खरीदा. रूस ने पिछले नौ महीने में ही सऊदी अरब और इराक जैसे शीर्ष तेल निर्यातक देशों को पीछे छोड़ दिया।