धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए : गौतम
भोपाल। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए, लेकिन धर्म आधारित नीति पर राज होना चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष गौतम ने यह बात राजधानी में पंचम अंतरराष्ट्रीय रामायण अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कही। सम्मेलन में विगत 3 दिनो मे कई से देशों आए लेखक, साहित्यकारों, मानस मर्मज्ञों ने अपने शोधपत्र वाचन किये तथा उनके व्याख्यान हुए। कई शोध पत्र विद्वानों ने पढ़े गए। समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए, लेकिन धर्म आधारित नीति पर राज होना चाहिए। और तुलसीदास जी ने तो कहा ही है कि परहित सरसि धर्म नहीं भाई। गौतम ने आह्वान किया कि आज धर्म के प्रति हम सभी की आस्था और मजबूत बने इसके लिए इस तरह के शोध कार्यों की आवश्यकता है।
ज्ञानवर्धक बातें लिखी है रामचरितमानस में
भगवान वाल्मीकि ने रामायण की जो रचना की है वह भगवान श्री राम के समकालीन समय में की है, लेकिन गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस समकालीन नहीं है। मेरे विचार से रामचरित मानस की रचना जनबोली में की गई, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। इसका प्रमाण यह भी है कि आज गांवों में कई लोगों को अक्षर ज्ञान नहीं होता है लेकिन वे राम चरित मानस गाते हुए दिखते हैं। रामचरित मानस में देखा जाए तो प्रकृति, राजनीति, स्वास्थ्य, पर्यावरण जैसे जीवन से जुड़े हर विषय के बारे में ज्ञानवर्धक बाते लिखी हुई हैं।