प्रधानमंत्री शहबाज का भीख मांगने का वीडियो वायरल, कहा- मुझे शर्म आ रही है लेकिन मेरी मजबूरी है
इस्लामाबाद (Islamabad) । पाकिस्तान (Pakistan) की आर्थिक हालत गंभीर (Economic Crisis) रूप से बिगड़ चुकी है. महंगाई (Inflation) आसमान पर है. लोगों के पास रोजाना इस्तेमाल की चीजें भी खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. देश में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी है. इस बीच पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shahbaz Sharif) का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात से कर्ज मांगने का जिक्र किया है.
पीएम शहबाज ने वीडियो (Shahbaz Sharif Video) में बताया है कि यूएई (UAE) की यात्रा के दौरान उन्हें अपने देश के लिए कर्ज मांगते वक्त किस मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ा है.
शहबाज का भीख मांगने का वीडियो वायरल
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस वीडियो में यूएई से कर्ज लेते हुए अपनी मानसिक स्थति का जिक्र किया. इस वीडियो में शहबाज शरीफ ने कहा, ” मैं दो दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात से होकर आया हूं. वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद बड़ी ही मोहब्बत से पेश आए. मैंने पहले तय किया था कि मैं उनसे और कर्ज नहीं मांगूंगा, लेकिन फिर मैंने हिम्मत जुटाई और यूएई के राष्ट्रपति से कहा कि आप मेरे बड़े भाई हैं, मुझे शर्म आ रही है लेकिन मेरी मजबूरी है. हमें एक अरब डॉलर और दें”.
पिछले हफ्ते किया था यूएई का दौरा
पाकिस्तान पहले से ही भारी कर्ज से दबा हुआ है और शहबाज सरकार फिर से अब दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से आर्थिक मदद की गुहार लगा रही है. पिछले हफ्ते पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने यूएई का दौरा किया था. इस दौरान उद्योगपतियों से उन्होंने पाकिस्तान में निवेश करने की गुहार लगाई थी. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का बड़ा खतरा मंडरा रहा है.
विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी
जिनेवा में पीएम शाहबाज ने पाकिस्तान (Pakistan) के लिए 16 अरब डॉलर की मदद मांगी थी ताकि बाढ़ से बर्बाद देश को कुछ राहत मिल सके. यहां से उन्हें 10 अरब डॉलर देने का भरोसा दिलाया गया था. इसमें से एक भी पैसा पाकिस्तान के सरकारी खजाने में अबतक नहीं पहुंच पाया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास महज तीन हफ्तों तक आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बचा है. ऐसे में पाकिस्तान सरकार के सामने आईएमएफ (IMF) का दरवाजा खटखटाने के अलावा फिलहाल कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.