प्रदेश में मनाया जा रहा भाषाएं अनेक भाव एक थीम पर उत्सव
0
भोपाल। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विभिन्न उद्देश्यों को शामिल किया गया है, जिससे युवाओं और बच्चों में राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूती मिल सके। इन्हें उद्देश्यों में एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बहुभाषा के महत्व को समझना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 11 दिसंबर 2024 को महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती को मनाया जाएगा। इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी प्रांतों को निर्देश जारी किये हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश की सभी शालाओं में महाकवि सुब्रमण्यम भारती जयंती मनाने के निर्देश दिये हैं। प्रदेश की शालाओं में जयंती समारोह की श्रृंखला 4 दिसंबर से प्रारंभ हो गयी हैं। समारोह के दौरान ’भारतीय भाषा उत्सव’ की थीम पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं और शैक्षिक गतिविधियां आयोजित की जायेगी। प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारी को कहा गया है कि इन कार्यक्रमों में अधिक से अधिक बच्चों की भागीदारी हो, यह सुनिश्चित किया जाए। निर्देशों में कहा गया है कि प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों के इस तरह से आयोजन किये जायें कि बच्चे भारतीय भाषा और साहित्य के महत्व को समझ सकें। निर्देशों में कहा गया है कि देश में बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है। सभी भाषाओं की समृद्धि से भारतीय संस्कृति की विविधता और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलती है।
प्रदेश में विभिन्न अंचलों में लोक भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें मालवी, निमाड़ी, बघेली और बुन्देली प्रमुख हैं। इसके अलावा प्रदेश में जनजातीय भाषा के रूप में भीली, गोंडी, बारेली और सहरिया प्रमुख हैं। इन भाषाओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों के बीच में प्रतियोगिता के आयोजन किये जाने के लिये भी कहा गया है। बहु भाषा को प्रमुखता देने का मकसद इन भाषाओं में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश की सभी शालाओं में महाकवि सुब्रमण्यम भारती जयंती मनाने के निर्देश दिये हैं। प्रदेश की शालाओं में जयंती समारोह की श्रृंखला 4 दिसंबर से प्रारंभ हो गयी हैं। समारोह के दौरान ’भारतीय भाषा उत्सव’ की थीम पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं और शैक्षिक गतिविधियां आयोजित की जायेगी। प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारी को कहा गया है कि इन कार्यक्रमों में अधिक से अधिक बच्चों की भागीदारी हो, यह सुनिश्चित किया जाए। निर्देशों में कहा गया है कि प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों के इस तरह से आयोजन किये जायें कि बच्चे भारतीय भाषा और साहित्य के महत्व को समझ सकें। निर्देशों में कहा गया है कि देश में बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है। सभी भाषाओं की समृद्धि से भारतीय संस्कृति की विविधता और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलती है।
प्रदेश में विभिन्न अंचलों में लोक भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें मालवी, निमाड़ी, बघेली और बुन्देली प्रमुख हैं। इसके अलावा प्रदेश में जनजातीय भाषा के रूप में भीली, गोंडी, बारेली और सहरिया प्रमुख हैं। इन भाषाओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों के बीच में प्रतियोगिता के आयोजन किये जाने के लिये भी कहा गया है। बहु भाषा को प्रमुखता देने का मकसद इन भाषाओं में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है।