कृषि उपज मंडी भवनों से नहीं वसूला जाए सेवा प्रभार
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भोपाल। राज्य के कृषि विभाग के अंतर्गत कार्यरत मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड के आयुक्त एम सेलवेन्द्रन ने नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि वह कृषि उपज मंडियों के भवनों से पहुंच मार्ग बनाने, स्ट्रीट लाईट लगाने एवं ड्रेनेज सिस्टम स्थापित करने पर सेवा प्रभार नहीं वसूलें।
दरअसल नगरीय प्रशासन विभाग ने मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड को पत्र लिख कर कहा था कि राजकोर्ट नगर निगम विरुध्द भारत संघ एवं अन्य के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर 2009 को आदेश दिया है कि शासकीय विभागों एवं संस्थाओं के भवनों पर नगरीय निकाय के सेवा प्रभार लगेंगे जिसका भुगतान करना होगा। इसके आधार पर मप्र में अनेक नगरीय निकायों ने कृषि उपज मंडियों को सेवा प्रभार के भुगतान के मांग-पत्र जारी कर दिये। मंडी आयुक्त ने आयुक्त नगरीय प्रशासन को भेजे अपने ताजा पत्र में कहा है कि ऐसे मांग पत्रों में सेवा प्रभार, शुल्क की गणना का आधार, प्रदत्त सेवाओं का विवरण एवं समरुप सेवाओं हेतु निजी संपति पर लगने वाले प्रभार की दर आदि अंकित नहीं है।
मध्यप्रदेश मंडी एक्ट 1972 की धारा 9 में प्रावधान है कि मंडी प्रांगण, उपमंडी प्रांगण के लिये या मंडी बोर्ड के प्रयोजन के लिये उपयोग में लाये गये परिसरों के संबंध में यह नहीं समझा जायेगा कि ये यथास्थिति नगर निगम, नगर पालिका या नगर परिषद, अधिसूचित क्षेत्र, ग्राम पंचायत या विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की सीमाओं में सम्मिलित हैं।
दरअसल नगरीय प्रशासन विभाग ने मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड को पत्र लिख कर कहा था कि राजकोर्ट नगर निगम विरुध्द भारत संघ एवं अन्य के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर 2009 को आदेश दिया है कि शासकीय विभागों एवं संस्थाओं के भवनों पर नगरीय निकाय के सेवा प्रभार लगेंगे जिसका भुगतान करना होगा। इसके आधार पर मप्र में अनेक नगरीय निकायों ने कृषि उपज मंडियों को सेवा प्रभार के भुगतान के मांग-पत्र जारी कर दिये। मंडी आयुक्त ने आयुक्त नगरीय प्रशासन को भेजे अपने ताजा पत्र में कहा है कि ऐसे मांग पत्रों में सेवा प्रभार, शुल्क की गणना का आधार, प्रदत्त सेवाओं का विवरण एवं समरुप सेवाओं हेतु निजी संपति पर लगने वाले प्रभार की दर आदि अंकित नहीं है।
मध्यप्रदेश मंडी एक्ट 1972 की धारा 9 में प्रावधान है कि मंडी प्रांगण, उपमंडी प्रांगण के लिये या मंडी बोर्ड के प्रयोजन के लिये उपयोग में लाये गये परिसरों के संबंध में यह नहीं समझा जायेगा कि ये यथास्थिति नगर निगम, नगर पालिका या नगर परिषद, अधिसूचित क्षेत्र, ग्राम पंचायत या विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की सीमाओं में सम्मिलित हैं।