दिल्ली में बीजेपी का सियासी धमाका, परिवर्तन यात्रा और हिंदुत्व से बदलेंगे चुनावी समीकरण
बीजेपी के लिए, महाराष्ट्र में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद, दिल्ली विधानसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती है, लेकिन पार्टी अब पूरी ताकत के साथ इस चुनावी मुकाबले में उतरने जा रही है. महाराष्ट्र और हरियाणा की जीत के बाद बीजेपी में जो जोश और उत्साह का संचार हुआ है, वह स्वाभाविक है. भले ही पार्टी को झारखंड में एक झटका लगा हो, लेकिन इन जीतों के बाद पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा है, और अब वह दिल्ली की ओर पूरी ताकत के साथ बढ़ रही है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मिले जख्मों को दो राज्य स्तर की जीतों ने भरने का काम किया है. लोकसभा चुनाव में मिले नुकसान के बाद, बीजेपी की यह जीत जैसे एक टॉनिक का काम कर रही है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से कमज़ोर रहा है. 2013 में, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन सरकार नहीं बना पाई. उस चुनाव में बीजेपी को 32 सीटें मिली थीं. 2015 में यह स्थिति और बिगड़ी और पार्टी को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से केवल 3 सीटों पर ही जीत मिल पाई. हालांकि, 2020 में बीजेपी का प्रदर्शन थोड़ा सुधरा था, और पार्टी को 8 सीटें मिलीं. लेकिन फिर भी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने बीजेपी का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर ही रहा.
2020 के चुनाव परिणामों से साफ था कि आम आदमी पार्टी का प्रभाव दिल्ली की राजनीति में काफी मजबूत हो चुका है. 2015 में जब AAP ने 67 सीटें जीती थीं, तब से पार्टी का दबदबा लगातार बना रहा. 2020 में भी आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की. हालाँकि, बीजेपी के लिए एक राहत की बात यह है कि सीटों में कुछ कमी आई है. बीते हुए चुनावों से यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी पार्टी के लिए सत्ता में वापसी अब भी संभव है, लेकिन बीजेपी की रणनीति में कई नए आयाम जोड़े जा रहे हैं.
बीजेपी के रणनीतिकारों ने दिल्ली चुनावों के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है. पार्टी ने कैलाश गहलोत जैसे नेताओं को अपनी टीम में शामिल किया है, जो पहले आम आदमी पार्टी से जुड़े थे. गहलोत को चुनाव समन्वय समिति और बीजेपी के चुनाव घोषणा पत्र समिति का सदस्य बनाया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी इस बार चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है. कैलाश गहलोत का बीजेपी में आना और उनकी सक्रिय भूमिका पार्टी की चुनावी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. इसके अलावा, स्वाति मालीवाल जैसे अन्य नेताओं की मुहिम भी बीजेपी के पक्ष में जा सकती है.
बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव के बाद दिल्ली में एक परिवर्तन यात्रा की घोषणा की है. यह यात्रा दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में निकाली जाएगी. बीजेपी का उद्देश्य इस यात्रा के माध्यम से दिल्लीवासियों को यह बताना है कि उनके इलाके में जो भी समस्याएं हैं, चाहे वह सड़क, सीवर या पानी की कमी हो, उसकी जिम्मेदार केवल और केवल आम आदमी पार्टी है. पार्टी ने इस परिवर्तन यात्रा के लिए सतीश उपाध्याय को जिम्मेदारी दी है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इस यात्रा के दौरान पार्टी दिल्लीवासियों को यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने शहर की बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं किया है.
दिल्ली में बीजेपी की इस परिवर्तन यात्रा का कांग्रेस के न्याय यात्रा से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधी टक्कर को जन्म दे सकता है. बीजेपी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्लीवासियों की समस्याओं को अनदेखा किया और सिर्फ सत्ता में बने रहने की कोशिश की. बीजेपी ने अपने प्रचार में यह भी कहा है कि वह दिल्ली के हर छोटे-बड़े मुद्दे पर काम करने का वादा करती है. पार्टी का कहना है कि वह माइक्रो-लेवल पर जाकर दिल्ली की समस्याओं का समाधान करने में विश्वास रखती है, जो आम आदमी पार्टी नहीं कर पाई है.
बीजेपी का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एजेंडा पिछले दो चुनावों में पूरी तरह से असफल साबित हुआ था. 2020 के चुनाव में बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आतंकवादियों से जुड़े आरोप लगाए थे, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ था. अब एक बार फिर बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को चुनावी प्रचार में लाने की योजना बना रही है. पार्टी का मानना है कि दिल्ली में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे को चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है. बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार पार्टी की यह रणनीति काम कर सकती है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी का यह अभियान कांग्रेस की भूमिका को भी प्रभावित कर सकता है. बीजेपी को उम्मीद है कि कांग्रेस के वोट आम आदमी पार्टी के वोटों को काटेंगे और इसका फायदा बीजेपी को होगा. दिल्ली में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए, बीजेपी इसे अपनी रणनीति में एक अहम हिस्सा मान रही है. हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले दो चुनावों में कमज़ोर रहा है, लेकिन अब भी पार्टी का एक अहम वोट बैंक है, जो आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
इसके अलावा, बीजेपी ने महिलाओं के लिए एक नई योजना पर विचार करना शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र में जो “लाडकी बहन योजना” का फॉर्मूला सफल हुआ था, अब बीजेपी उसे दिल्ली में लागू करने की सोच रही है. इस योजना के तहत, पार्टी महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये का डायरेक्ट कैश ट्रांसफर देने पर विचार कर रही है. यह कदम आम आदमी पार्टी की दिल्ली में महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने की योजना को काउंटर करने के लिए उठाया जा सकता है. बीजेपी ने इस योजना को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का मन बना लिया है.
इसके साथ ही, बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी चुनावी मुद्दा बनाने की योजना बना रही है. हालांकि झारखंड में भ्रष्टाचार का मुद्दा ज्यादा प्रभावी नहीं रहा, लेकिन दिल्ली में यह मुद्दा बीजेपी के लिए अहम साबित हो सकता है. अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ शराब घोटाले को लेकर बीजेपी का हमला तेज हो सकता है. इस मामले में कांग्रेस भी बीजेपी की तरह केजरीवाल के खिलाफ हो सकती है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी की रणनीति में परिवर्तन यात्रा, महिला योजनाओं, भ्रष्टाचार और हिंदुत्व जैसे कई मुद्दे शामिल हैं. हालांकि आम आदमी पार्टी का मजबूत नेटवर्क और नेताओं का प्रभाव भी है, जो पार्टी को मजबूत बनाए रखता है. बीजेपी के लिए यह चुनाव जीतना आसान नहीं होगा, लेकिन पार्टी ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है. अब यह देखना होगा कि दिल्ली के लोग किसे अपना समर्थन देते हैं और क्या बीजेपी अपनी रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू कर पाती है या नहीं.