सपा ने ही नहीं दिया अपने उम्मीदवार का साथ
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भोपाल। मध्यप्रदेश में उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बुधनी में प्रत्याशी मैदान में उतारकर कांग्रेस की चिंता को बढ़ाया था, मगर सपा उम्मीदवार वह परिणाम नहीं दे सका, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। इसके पीछे सपा संगठन की बेरूखी भी नजर आई। सपा उम्मीदवार पूरे समय चुनाव प्रचार में अकेले ही जुटे रहे, संगठन की ओर से वहां कोई प्रचार के लिए नहीं पहुंचा। परिणाम यह हुआ कि सपा उम्मीदवार को पंद्रह सौ वोट भी हासिल नहीं हुए।
बुधनी उपचुनाव की घोशणा के बाद समाजवादी पार्टी ने नाराजगी दिखाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया था। सपा ने कांग्रेस से सपा में आए नेता अर्जुन आर्य को टिकट दिया और मैदान में उतारकर कांग्रेस को कड़ा संदेश देने की कोशिश की थी, मगर जब परिणाम आए तो पता चला सपा उम्मीदवार को 1379 वोट ही हासिल हुए। कांग्रेस को सपा प्रत्याशी से कुछ नुकसान तो नहीं हुआ, मगर राश्टीय स्तर पर सपा और कांग्रेस के गठबंधन पर इसका असर पड़ता नजर आ रहा है। वहीं सपा प्रत्याशी की करारी हार के पीछे सपा का प्रदेश संगठन भी जिम्मेदार रहा है। सपा ने बुधनी में प्रत्याशी उतारकर नामांकन तो भरवा दिया, मगर चुनाव प्रचार में प्रदेश का कोई भी बड़ा नेता प्रत्याशी अर्जुन आर्य के साथ चुनाव प्रचार करता नजर नहीं आया। पूरे समय अर्जुन आर्य अपने समर्थकों के साथ मैदान में दिखे, मगर उनके साथ किसान आंदोलन करने वाली वह टीम भी नजर नहीं आई जिसके लिए वे क्षेत्र में संघर्श कर रहे थे। सपा संगठन और किसान आंदोलन करने वाले साथियों की दूरी के चलते अर्जुन आर्य को बुधनी में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
बुधनी उपचुनाव की घोशणा के बाद समाजवादी पार्टी ने नाराजगी दिखाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया था। सपा ने कांग्रेस से सपा में आए नेता अर्जुन आर्य को टिकट दिया और मैदान में उतारकर कांग्रेस को कड़ा संदेश देने की कोशिश की थी, मगर जब परिणाम आए तो पता चला सपा उम्मीदवार को 1379 वोट ही हासिल हुए। कांग्रेस को सपा प्रत्याशी से कुछ नुकसान तो नहीं हुआ, मगर राश्टीय स्तर पर सपा और कांग्रेस के गठबंधन पर इसका असर पड़ता नजर आ रहा है। वहीं सपा प्रत्याशी की करारी हार के पीछे सपा का प्रदेश संगठन भी जिम्मेदार रहा है। सपा ने बुधनी में प्रत्याशी उतारकर नामांकन तो भरवा दिया, मगर चुनाव प्रचार में प्रदेश का कोई भी बड़ा नेता प्रत्याशी अर्जुन आर्य के साथ चुनाव प्रचार करता नजर नहीं आया। पूरे समय अर्जुन आर्य अपने समर्थकों के साथ मैदान में दिखे, मगर उनके साथ किसान आंदोलन करने वाली वह टीम भी नजर नहीं आई जिसके लिए वे क्षेत्र में संघर्श कर रहे थे। सपा संगठन और किसान आंदोलन करने वाले साथियों की दूरी के चलते अर्जुन आर्य को बुधनी में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।