सहरिया संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपने का किया विरोध
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझती है भाजपा
भोपाल। कांग्रेस ने सरकार पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने श्योपुर में सहरिया आदिवासी समुदाय के लिए बने संग्रहालय के निजीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के लिए आदिवासी समुदाय वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपने के कारण सहरिया समाज में नाराजगी है और उनकी मांग है कि नया संग्रहालय बनने तक इसे किले में ही रखा जाए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार के लिए आदिवासी सिर्फ वोट बैंक है, इससे ज्यादा कुछ नहीं और सहरिया आदिवासी समुदाय के लिए बने संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपकर एमपी सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि संग्रहालय के निजीकरण से सहरिया समुदाय दुखी और नाराज है। इसी के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव से मांग की है कि नया संग्रहालय बनने तक इसे किले में ही रखा जाए। सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘मध्यप्रदेश सरकार के लिए आदिवासी सिर्फ वोट बैंक है, इससे ज्यादा कुछ नहीं ! सहरिया आदिवासी समुदाय के लिए बने संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपकर प्रदेश सरकार ने अपने इरादे भी स्पष्ट कर दिए! 1987 में श्योपुर किले में इस संग्रहालय की स्थापना की गई थी, जो इन आदिवासियों पर अध्ययन करने वालों के लिए वरदान है। लेकिन, सरकार ने इसे पुरातत्व विभाग से लेकर पर्यटन विभागो को सौंप दिया। बाद में पर्यटन विभाग ने इसे निजी हाथों को दे दिया! मतलब आदिवासी संस्कृति के नाम पर भी कारोबार कर लिया! इससे सहरिया समुदाय दुखी है और नाराज भी। उनकी मांग है कि नया संग्रहालय बनने तक इसे किले में ही रखा जाए। क्या मोहन बाबू की सरकार आदिवासियों की इस मांग पर ध्यान देगी?
भोपाल। कांग्रेस ने सरकार पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने श्योपुर में सहरिया आदिवासी समुदाय के लिए बने संग्रहालय के निजीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के लिए आदिवासी समुदाय वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपने के कारण सहरिया समाज में नाराजगी है और उनकी मांग है कि नया संग्रहालय बनने तक इसे किले में ही रखा जाए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार के लिए आदिवासी सिर्फ वोट बैंक है, इससे ज्यादा कुछ नहीं और सहरिया आदिवासी समुदाय के लिए बने संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपकर एमपी सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि संग्रहालय के निजीकरण से सहरिया समुदाय दुखी और नाराज है। इसी के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव से मांग की है कि नया संग्रहालय बनने तक इसे किले में ही रखा जाए। सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘मध्यप्रदेश सरकार के लिए आदिवासी सिर्फ वोट बैंक है, इससे ज्यादा कुछ नहीं ! सहरिया आदिवासी समुदाय के लिए बने संग्रहालय को निजी हाथों में सौंपकर प्रदेश सरकार ने अपने इरादे भी स्पष्ट कर दिए! 1987 में श्योपुर किले में इस संग्रहालय की स्थापना की गई थी, जो इन आदिवासियों पर अध्ययन करने वालों के लिए वरदान है। लेकिन, सरकार ने इसे पुरातत्व विभाग से लेकर पर्यटन विभागो को सौंप दिया। बाद में पर्यटन विभाग ने इसे निजी हाथों को दे दिया! मतलब आदिवासी संस्कृति के नाम पर भी कारोबार कर लिया! इससे सहरिया समुदाय दुखी है और नाराज भी। उनकी मांग है कि नया संग्रहालय बनने तक इसे किले में ही रखा जाए। क्या मोहन बाबू की सरकार आदिवासियों की इस मांग पर ध्यान देगी?