जी-20 के माध्यम से भारत वैश्विक समस्याओं के निराकरण की आवाज बनेगा
भारत ने जिस प्रकार कोविड संकट के दौरान सारे विश्व को कोविड वैक्सीन उपलब्ध करवा कर मानवता की सेवा की, उसी प्रकार जी-20 के माध्यम से भारत आज विश्व के समक्ष आ रही चुनौतियों और समस्याओं के समाधान के लिये विश्व की आवाज बनेगा। समावेशी विकास, समावेशी वित्त और समानता आज की सबसे बड़ी आवश्यकताएँ हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण के लिये जीवन मूल्य का जो मंत्र दिया है, उसे जी-20 के माध्यम से विश्व के कोने-कोने में पहुँचाया जायेगा। विश्व की गरीब जनसंख्या को ध्यान में रखकर नवीकरण और नियोजन पर अधिक ध्यान दिया जाये। विश्व के लिये नया विकास एजेंडा भारत बनायेगा।
भारत में होने वाली जी-20 समिट के परिप्रेक्ष्य में विशेष थिंक-20 कार्यक्रम में आज कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में ‘‘पर्यावरण सम्मत जीवन-शैली के समावेशी विकास’’ विषय पर हुए प्लेनरी सेशन में वक्ताओं ने यह बात प्रमुखता से रखी। सत्र की अध्यक्षता इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स, साउथ अफ्रीका, प्रो. एलिजाबेथ सिडिरोपोलस ने की। समाहार वक्तव्य में उन्होंने कहा कि आज विश्व में वैश्विक वित्तीय संरचना, नवाचार और समावेशी विकास की आवश्यकता है। भारत की अध्यक्षता में हो रही जी-20 समिट इन उद्देश्यों को अवश्य पूरा करेगी।
प्रमुख वक्ता के रूप में कोलंबिया यूनिवर्सिटी, यूएसए के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट के निदेशक प्रो. जैफ्रे डी सैश ऑनलाइन शामिल हुए। प्रो. सैश ने कहा कि आज विश्व के समक्ष आर्थिक चुनौतियों के समाधान के लिये वैश्विक वित्तीय संरचना की आवश्यकता है। इस कार्य में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डेव्हलपमेंट अल्टरनेटिव्स संस्था दिल्ली के प्रो. अशोक खोसला ने कहा कि जी-20 वह मंच है, जिसके माध्यम से हम आज विश्व के समक्ष आ रही समस्याओं यथा आतंकवाद, प्रदूषण, जीवन-पद्धति, जीवन-मूल्य, जलवायु परिवर्तन, प्रजातियों का विलोपन, मंदी आदि का निराकरण कर सकते हैं। हमें दुनिया को ‘‘इक्यूटेबल ग्रीन फ्यूचर’’ देना होगा। पूरे विश्व और लोगों की समृद्धि हमारा लक्ष्य है। हमें सभी को स्थिर आजीविका देनी होगी और साथ ही पर्यावरण को पुनर्जीवित करना होगा। बड़े उद्योगों के स्थान पर छोटे उद्योगों के माध्यम से अधिक रोजगार सृजित करने होंगे।
बांग्लादेश से आये सीवीएफ संस्था के श्री अबुल कलाम आजाद ने वर्चुअल माध्यम से कहा कि आज विश्व को जलवायु समृद्धि योजना (क्लाइमेट प्रोसपेरिटी प्लान) अपनाना होगा। यह प्रकृति आधारित योजना है, जिसे बांग्लादेश ने अपनाया है। इसके माध्यम से प्रकृति संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए अधिक से अधिक संख्या में लोगों के लिये रोजगार के अवसर बनाये जाते हैं। यह योजना वन अर्थ – वन फैमिली – वन फ्यूचर की जी-20 की अवधारणा को पूरा करती है। सभी जी-20 देश अपने-अपने देश के लिये ‘‘क्लाइमेट प्रोसपेरिटी’’ प्लान बनायें।
येल यूनिवर्सिटी यूएसए के दर्शन शास्त्र और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर थॉमस पोगे ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के वैश्विक विजन, पर्यावरण के लिये भारतीय जीवन पद्धति, नवीकरण और नियोजन की परिकल्पना की सराहना की। उन्होंने ‘‘इंटरनेशनल ग्रीन फण्ड’’ बनाये जाने और समावेशी वित्त की आवश्यकता पर जोर दिया। पेरिस पीस फोरम के डायरेक्टर जनरल श्री जस्टिन वैसे ने फिस्कल बजट, वित्तीय संरचना और क्लाइमेट कंटेन्ट पर वर्चुअली प्रकाश डाला।
भारत में ब्रिटिश हाई कमीशन के वरिष्ठ राजनैतिक सलाहकार डेविड व्हाइट ने भारत में जी-20 के मुद्दों पर शासकीय और अशासकीय, दोनों स्तरों पर सराहनीय कार्य के लिये भारत सरकार को बधाई दी। जेनेवा के प्रथम सचिव एकिनडेजी एडेनिपो ने कहा कि जी-20 मुद्दों के समाधान में विश्व भारत की आवाज बनेगा। विश्व में समावेशी विकास की कमी को दूर किया जाना आवश्यक है। इस कार्य में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने विश्व को कोविड वैक्सीन दिलवाने के लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी की सराहना की।
जवाहरलाल यूनिवर्सिटी नई दिल्ली के प्रो. गुलशन सचदेवा ने कहा कि विश्व के लिये नया विकास एजेंडा भारत बनायेगा। भारत हमेशा विश्व की आवाज रहा है। वैश्विक वित्तीय सुधार, जलवायु परिवर्तन, भू-राजनैतिक अस्थिरता, मंदी सभी क्षेत्रों में जी-20 की भारत की अध्यक्षता महत्वपूर्ण होगी। भारत इसे राष्ट्रीय स्तर पर तो समावेशी बना ही रहा है, सभी के सहयोग से इसे वैश्विक स्तर पर भी समावेशी बनाया जायेगा।