प्रदेश में फिर शुरू हो सकती है सरकारी बसें
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ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू करने की तैयारी, मांगा प्रस्ताव
भोपाल। प्रदेश में 2005 से बंद राज्य परिवहन निगम को एक बार फिर से शुरू करने की कवायद सरकार करने जा रही है। इसके लिए मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग के अधिकारियों से एक प्रस्ताव मांगा है।
जनकारी के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारियों को प्रस्ताव इसी माह तैयार कर देने को कहा है। प्रस्ताव को कैबिनेट में लाकर पास कराने का प्रयास किया जा रहा हैं, ताकि प्रदेश में लंबे समय से बंद सरकारी बसों को चालू किया जा सके। सूत्रों की माने तो सरकारी बसों की शुरुआत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से हो सकती है।
ब्ताया जाता है कि प्राइवेट ऑपरेटरों द्वारा चलाई जा रही बसें अधिकतर बड़े ष्शहरों तक सीमित है। ग्रामीण अंचलों में वे अपनी बसों का संचालन ज्यादा नहीं करना चाहते है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में लोगों को परिवहन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते सरकार यह पहल कर रही है कि सरकारी बसों को ग्रामीण क्षेत्रों में एक बार फिर शुरू किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों के बाद इन बसों का संचालन अन्य मार्गों पर जो शहरों को जोड़ते हैं, उन पर किया जाए।
पीपीपी मॉडल पर बनेंगे बस स्टेंड
प्रदेश के उन रूटों पर बसें चलाई जाएंगी, जहां प्राइवेट बसों का संचालन नहीं हो रहा है। इसकी शुरुआत जिला स्तर से होगी। इसके बाद फिर पड़ोसी राज्य तक सेवा पर विचार किया जाएगा। ये बसें अत्याधुनिक होंगी। पीपीपी मॉडल या सरकारी नियंत्रण में चलाने को लेकर उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। सभी बस स्टैंड को पीपीपी मॉडल पर बनाने पर सहमति बनेगी। जिस कंपनी को बस स्टैंड दिया जाएगा, वो उसके कुछ हिस्से को कमर्शियल का उपयोग कर सकती है।
2005 में बंद हुआ था परिवहन निगम
परिवहन निगम को बंद करने की कवायद वैसे 1990 से ष्शुरू हुई थी। कर्मचारियों के विरोध के चलते पंद्रह साल तक तो इसे सरकार बंद नहीं कर पाई, मगर 2005 में निगम को बंद कर दिया गया था। वर्तमान में निगम में मात्र में 167 कर्मचारी कार्यरत है, उनमें से भी 140 कर्मचारी दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे हैं। बंद करने के फैसले का कर्मचारियों द्वारा विरोध भी किया गया, मगर सरकार ने अधिकांश कर्मचारियों को वीआरएस देकर घर बैठा दिया।
भोपाल। प्रदेश में 2005 से बंद राज्य परिवहन निगम को एक बार फिर से शुरू करने की कवायद सरकार करने जा रही है। इसके लिए मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग के अधिकारियों से एक प्रस्ताव मांगा है।
जनकारी के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारियों को प्रस्ताव इसी माह तैयार कर देने को कहा है। प्रस्ताव को कैबिनेट में लाकर पास कराने का प्रयास किया जा रहा हैं, ताकि प्रदेश में लंबे समय से बंद सरकारी बसों को चालू किया जा सके। सूत्रों की माने तो सरकारी बसों की शुरुआत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से हो सकती है।
ब्ताया जाता है कि प्राइवेट ऑपरेटरों द्वारा चलाई जा रही बसें अधिकतर बड़े ष्शहरों तक सीमित है। ग्रामीण अंचलों में वे अपनी बसों का संचालन ज्यादा नहीं करना चाहते है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में लोगों को परिवहन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते सरकार यह पहल कर रही है कि सरकारी बसों को ग्रामीण क्षेत्रों में एक बार फिर शुरू किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों के बाद इन बसों का संचालन अन्य मार्गों पर जो शहरों को जोड़ते हैं, उन पर किया जाए।
पीपीपी मॉडल पर बनेंगे बस स्टेंड
प्रदेश के उन रूटों पर बसें चलाई जाएंगी, जहां प्राइवेट बसों का संचालन नहीं हो रहा है। इसकी शुरुआत जिला स्तर से होगी। इसके बाद फिर पड़ोसी राज्य तक सेवा पर विचार किया जाएगा। ये बसें अत्याधुनिक होंगी। पीपीपी मॉडल या सरकारी नियंत्रण में चलाने को लेकर उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। सभी बस स्टैंड को पीपीपी मॉडल पर बनाने पर सहमति बनेगी। जिस कंपनी को बस स्टैंड दिया जाएगा, वो उसके कुछ हिस्से को कमर्शियल का उपयोग कर सकती है।
2005 में बंद हुआ था परिवहन निगम
परिवहन निगम को बंद करने की कवायद वैसे 1990 से ष्शुरू हुई थी। कर्मचारियों के विरोध के चलते पंद्रह साल तक तो इसे सरकार बंद नहीं कर पाई, मगर 2005 में निगम को बंद कर दिया गया था। वर्तमान में निगम में मात्र में 167 कर्मचारी कार्यरत है, उनमें से भी 140 कर्मचारी दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे हैं। बंद करने के फैसले का कर्मचारियों द्वारा विरोध भी किया गया, मगर सरकार ने अधिकांश कर्मचारियों को वीआरएस देकर घर बैठा दिया।