कोर्ट में लगाए जाने वाले शपथ पत्र में तथ्यों का रखें ध्यान
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सामान्य प्रशासन विभाग ने दिए अधिकारियों को निर्देश
भोपाल। गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने की गलती पर हाईकोर्ट द्वारा लगाई फटकार के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोर्ट के शपथ पत्र में तथ्यों का ध्यान रखा जाए।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट में गलत शपथ पत्र दे दिया था। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी। मामला प्रदेश के सीधी जिले में सिविल सर्जन की पोस्टिंग को लेकर सीनियरिटी को दरकिनार किए जाने को लेकर था। 10 साल बाद नौकरी में ज्वाइन हुई डा. दीपारानी इसरानी को सिविल सर्जन बनाया था। डा. दीपा रानी इसरानी से सीनियर डा. एम बी खरे को सीनियरिटी के मुताबिक पोस्टिंग नहीं मिली थी। रिट पिटीशन के दौरान तत्कालीन अपर मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के चलते शपथ पत्र गलत पेश किया था। गलत शपथ पत्र को लेकर हाईकोर्ट की फटकार लगाई थी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिकारियों को सही शपथ पत्र पेश करने के लिए पाबंद किया है। विभाग द्वारा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि कोर्ट के शपथ पत्र में तथ्यों का ध्यान रखा जाए। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का भी कड़ाई से पालन किया जाए।
भोपाल। गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने की गलती पर हाईकोर्ट द्वारा लगाई फटकार के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोर्ट के शपथ पत्र में तथ्यों का ध्यान रखा जाए।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट में गलत शपथ पत्र दे दिया था। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी। मामला प्रदेश के सीधी जिले में सिविल सर्जन की पोस्टिंग को लेकर सीनियरिटी को दरकिनार किए जाने को लेकर था। 10 साल बाद नौकरी में ज्वाइन हुई डा. दीपारानी इसरानी को सिविल सर्जन बनाया था। डा. दीपा रानी इसरानी से सीनियर डा. एम बी खरे को सीनियरिटी के मुताबिक पोस्टिंग नहीं मिली थी। रिट पिटीशन के दौरान तत्कालीन अपर मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के चलते शपथ पत्र गलत पेश किया था। गलत शपथ पत्र को लेकर हाईकोर्ट की फटकार लगाई थी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिकारियों को सही शपथ पत्र पेश करने के लिए पाबंद किया है। विभाग द्वारा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि कोर्ट के शपथ पत्र में तथ्यों का ध्यान रखा जाए। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का भी कड़ाई से पालन किया जाए।