राजसी सवारी कहलाएगी बाबा महाकाल की सवारी
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मुख्यमंत्री ने किया नया नामकरण, इस्लामिक है शाही शब्द
भोपाल। प्रदेश के उज्जैन में सालों से निकल रही बाबा महाकाल की सवारी का नाम बदलकर ‘राजसी सवारी’ कर दिया। सवारी के आगे से शाही शब्द हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अब इसे नया नाम ‘राजसी सवारी’ दिया है। ‘शाही सवारी’ को अब ‘राजसी सवारी’ के नाम से जाना जाएगा। साधु-संतों ने ‘शाही’ नाम को बदलने की मांग उठाई थी, उनका मानना है कि ‘शाही’ शब्द इस्लामिक है।
शाही सवारी निकलने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उज्जैन में बाबा महाकाल की आखिरी ‘राजसी सवारी’ निकल रही है। यह मात्र सवारी नहीं, अपितु बाबा का जनता के साथ सीधा सरोकार है। मैं देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं का बाबा महाकालेश्वर की राजसी सवारी में स्वागत, वंदन एवं अभिनंदन करता हूं। महाकाल की कृपा सब पर बनी रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा महाकाल के भक्तों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। ‘शाही सवारी’ का नाम बदलकर अब ‘राजसी सवारी’ करने का निर्णय लिया है। यह फैसला धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि कुछ लोग ‘शाही’ शब्द को गुलामी से जोड़ते थे। संतों और धार्मिक नेताओं ने इस बदलाव की मांग की थी।
जनता से सीधा सरोकार है बाबा महाकाल का
मुख्यमंत्री ने उज्जैन में बाबा महाकाल की आखिरी राजसी सवारी के अवसर पर अपने संदेश में कहा कि यह मात्र सवारी न होकर बाबा महाकाल का जनता के साथ सीधा सरोकार है। भगवान दर्शन देते हुए अपनी लौकिक दुनिया को अपनी निगाह से देखना चाहते हैं। मनुष्य भी इस अवसर की प्रतिक्षा करते हैं। कालों के काल महाकाल इस दुनिया में सदैव हमारा उत्साह बढ़ाते हैं। सभी का संरक्षण करते हैं। जीवन की ललक जगाते हैं। महाकाल की छबि देवों के देव के रूप में है। बाबा महाकाल एक विलक्षण देव हैं। गरीब से गरीब आदमी के जीवन में वे आशा, अपेक्षा और उत्साह का रंग घोलते हैं।
सपत्निक पूजा-अर्चना की मुख्यमंत्री ने
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को सोमवती अमावस्या पर भगवान महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए और सपत्निक पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना पं. राजेश गुरु ने सम्पन्न कराई। पूजन के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव को कलेक्टर एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने शॉल और श्रीफल भेंट किया।
भोपाल। प्रदेश के उज्जैन में सालों से निकल रही बाबा महाकाल की सवारी का नाम बदलकर ‘राजसी सवारी’ कर दिया। सवारी के आगे से शाही शब्द हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अब इसे नया नाम ‘राजसी सवारी’ दिया है। ‘शाही सवारी’ को अब ‘राजसी सवारी’ के नाम से जाना जाएगा। साधु-संतों ने ‘शाही’ नाम को बदलने की मांग उठाई थी, उनका मानना है कि ‘शाही’ शब्द इस्लामिक है।
शाही सवारी निकलने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उज्जैन में बाबा महाकाल की आखिरी ‘राजसी सवारी’ निकल रही है। यह मात्र सवारी नहीं, अपितु बाबा का जनता के साथ सीधा सरोकार है। मैं देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं का बाबा महाकालेश्वर की राजसी सवारी में स्वागत, वंदन एवं अभिनंदन करता हूं। महाकाल की कृपा सब पर बनी रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा महाकाल के भक्तों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। ‘शाही सवारी’ का नाम बदलकर अब ‘राजसी सवारी’ करने का निर्णय लिया है। यह फैसला धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि कुछ लोग ‘शाही’ शब्द को गुलामी से जोड़ते थे। संतों और धार्मिक नेताओं ने इस बदलाव की मांग की थी।
जनता से सीधा सरोकार है बाबा महाकाल का
मुख्यमंत्री ने उज्जैन में बाबा महाकाल की आखिरी राजसी सवारी के अवसर पर अपने संदेश में कहा कि यह मात्र सवारी न होकर बाबा महाकाल का जनता के साथ सीधा सरोकार है। भगवान दर्शन देते हुए अपनी लौकिक दुनिया को अपनी निगाह से देखना चाहते हैं। मनुष्य भी इस अवसर की प्रतिक्षा करते हैं। कालों के काल महाकाल इस दुनिया में सदैव हमारा उत्साह बढ़ाते हैं। सभी का संरक्षण करते हैं। जीवन की ललक जगाते हैं। महाकाल की छबि देवों के देव के रूप में है। बाबा महाकाल एक विलक्षण देव हैं। गरीब से गरीब आदमी के जीवन में वे आशा, अपेक्षा और उत्साह का रंग घोलते हैं।
सपत्निक पूजा-अर्चना की मुख्यमंत्री ने
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को सोमवती अमावस्या पर भगवान महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए और सपत्निक पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना पं. राजेश गुरु ने सम्पन्न कराई। पूजन के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव को कलेक्टर एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने शॉल और श्रीफल भेंट किया।