पदोन्नति से इंकार किया तो झेलना पड़ेगा आर्थिक नुकसान
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सरकार के आदेश का कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध
भोपाल। प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि अब जो भी कर्मचारी पदोन्नति (प्रमोशन) लेने से इंकार कापे वा उसे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा और उसे प्रमोशन छोड़ने के कारण उच्चतर वेतनमान का फायदा भी नहीं दिया जाएगा। सरकार ने इस आदेश का विरोध कर्मचारी संगठनों ने करना ष्शुरू कर दिया है।
सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर हाल ही में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार अब कर्मचारियों की क्रमोन्नति योजना में बदलाव करते हुए प्रावधान किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी उच्चतर वेतनमान का लाभ लेने के बाद पदोन्नति लेने से इंकार करता है तो उस कर्मचारी को पहले से मिलने वाली बढ़ा हुआ वेतन के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा, लेकिन ऐसे कर्मचारी को भविष्य में किसी भी उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ नहीं दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में क्रमोन्नति योजना लागू थी, इसे संशोधित कर चार स्तरीय समयमान वेतनमान लागू किया गया। इसके तहत पदोन्नति ना मिलने की स्थिति में दस, बीस, तीस और पैतीस साल की सेवा पूरी करने पर वरिश्ठ पद का वेतनमान दिया जाता है। ऐसे कर्मचारियों को बाद में पदोन्नति दी जाती रही। इस स्थिति में कर्मचारी पदोन्नति छोड़ देते थे, इसके पीछे तर्क यह था कि उन्हें बढ़ा हुआ वेतन तो पहले से ही मिल रहा है।
सरकार के इस आदेश का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ का कहना है कि प्रमोशन के बाद कई बार ट्रांसफर हो जाता है और ऐसे में पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए कई बार कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ छोड़ना पड़ता है। इसलिए सरकार को इस मामले में सहानुभूति के तौर पर फिर से विचार करना चाहिए। कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे का कहना है कि सरकार 2016 से कर्मचारियां को क्रमोन्नति तो दे नहीं रही है, बल्कि नए नियम लागू कर रही है। इससे कर्मचारियों को मिलने वाले उच्चतर वेतन का लाभ लेने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पूर्व की तरह ही उच्चतर वेतन का लाभ दिया जाना चाहिए।
भोपाल। प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि अब जो भी कर्मचारी पदोन्नति (प्रमोशन) लेने से इंकार कापे वा उसे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा और उसे प्रमोशन छोड़ने के कारण उच्चतर वेतनमान का फायदा भी नहीं दिया जाएगा। सरकार ने इस आदेश का विरोध कर्मचारी संगठनों ने करना ष्शुरू कर दिया है।
सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर हाल ही में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार अब कर्मचारियों की क्रमोन्नति योजना में बदलाव करते हुए प्रावधान किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी उच्चतर वेतनमान का लाभ लेने के बाद पदोन्नति लेने से इंकार करता है तो उस कर्मचारी को पहले से मिलने वाली बढ़ा हुआ वेतन के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा, लेकिन ऐसे कर्मचारी को भविष्य में किसी भी उच्चतर वेतनमान का वित्तीय लाभ नहीं दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में क्रमोन्नति योजना लागू थी, इसे संशोधित कर चार स्तरीय समयमान वेतनमान लागू किया गया। इसके तहत पदोन्नति ना मिलने की स्थिति में दस, बीस, तीस और पैतीस साल की सेवा पूरी करने पर वरिश्ठ पद का वेतनमान दिया जाता है। ऐसे कर्मचारियों को बाद में पदोन्नति दी जाती रही। इस स्थिति में कर्मचारी पदोन्नति छोड़ देते थे, इसके पीछे तर्क यह था कि उन्हें बढ़ा हुआ वेतन तो पहले से ही मिल रहा है।
सरकार के इस आदेश का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ का कहना है कि प्रमोशन के बाद कई बार ट्रांसफर हो जाता है और ऐसे में पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए कई बार कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ छोड़ना पड़ता है। इसलिए सरकार को इस मामले में सहानुभूति के तौर पर फिर से विचार करना चाहिए। कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे का कहना है कि सरकार 2016 से कर्मचारियां को क्रमोन्नति तो दे नहीं रही है, बल्कि नए नियम लागू कर रही है। इससे कर्मचारियों को मिलने वाले उच्चतर वेतन का लाभ लेने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पूर्व की तरह ही उच्चतर वेतन का लाभ दिया जाना चाहिए।