रावत की बढ़ने लगी मुश्किलें, आदिवासी ने दिखाए बगावती तेवर
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भाजपा से मांगा विजयपुर से टिकट, टिकट नहीं मिला तो करूंगा बगावत
भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत के मंत्री बनने के बाद भाजपा के कई दिग्गज नेता खफा नजर आ रहे हैं, वहीं अब उपचुनाव की स्थिति निर्मित होने पर भाजपा के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आदिवासी ने पार्टी से उपचुनाव में टिकट की मांग कर दी है, साथ ही कहा है कि अगर टिकट नहीं मिली तो वे बगावत कर देंगे।
मुरैना जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे रामनिवास रावत के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में ष्शामिल होने के बाद उनका विरोध अब खुलकर सामने आ रहा है। पहले उन्हें मंत्री बनाया गया तो पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने खुलकर इसका विरोध किया। भार्गव के अलावा अन्य भाजपा के वरिश्ठ विधायक और नेता भी पार्टी के इस कदम से नाराज नजर आ रहे हैं। अब जबकि रावत ने मंत्री बनने के बाद विधायक से इस्तीफा देकर उपचुनाव का रास्ता साफ कर दिया उस स्थिति में उनके लिए यहां पर संकट खड़ा हो गया है। पहले रावत ने सोचा था कि मंत्री बनने के बाद उपचुनाव में वे नाराज लोगों को मना लेंगे, मगर अब नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। रावत के खिलाफ भाजपा से चुनाव लड़े पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने रावत के भाजपा में आने को लेकर अब खुलकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह स्पश्ट कर दिया कि भाजपा उपचुनाव में उन्हें टिकट दे। उनका तर्क है कि सहारिया समाज से आते हैं। लंबे समय से भाजपा में हैं और कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा का झंडा बुलंद करते आए हैं। उन्होंने कहा कि रावत के आने से विजयपुर के भाजपा कार्यकर्ता खुश नहीं है। आदिवासी का कहना है कि रावत को कांग्रेस से भाजपा में लाने की जरूरत ही नहीं थी। उनके क्षेत्र में रावत के मतदाता तो सिर्फ पंद्रह हजार है, उससे ज्यादा तो हमारे मतदाता है।
बागी होकर लड़ूंगा चुनाव
पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने साफ कर दिया है कि अगर भाजपा उन्हें उपचुनाव में टिकट नहीं देती है, तो वह बागी होकर चुनाव लड़ेंगे और हो सकता है की दूसरी पार्टी की भी सदस्यता ले लें। उन्होंने कहा कि जब दुनिया ही बदल रही है, तो हमें बदलने में क्या कसर है, हम भी बदल जाएंगे। पूर्व विधायक ने कहा कि रामनिवास रावत को भाजपा में शामिल करके पार्टी ने बहुत बड़ी गलती कर दी है। जब विरोधियों को ही पार्टी में मिला लोगे, तो राजनीति का क्या मतलब है। मुख्यमंत्री रामनिवास रावत से अपना भाईचारा न निभाएं। अब भाजपा में हम आदिवासियों की पहले जैसी इज्जत नहीं रही।
भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत के मंत्री बनने के बाद भाजपा के कई दिग्गज नेता खफा नजर आ रहे हैं, वहीं अब उपचुनाव की स्थिति निर्मित होने पर भाजपा के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आदिवासी ने पार्टी से उपचुनाव में टिकट की मांग कर दी है, साथ ही कहा है कि अगर टिकट नहीं मिली तो वे बगावत कर देंगे।
मुरैना जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे रामनिवास रावत के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में ष्शामिल होने के बाद उनका विरोध अब खुलकर सामने आ रहा है। पहले उन्हें मंत्री बनाया गया तो पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने खुलकर इसका विरोध किया। भार्गव के अलावा अन्य भाजपा के वरिश्ठ विधायक और नेता भी पार्टी के इस कदम से नाराज नजर आ रहे हैं। अब जबकि रावत ने मंत्री बनने के बाद विधायक से इस्तीफा देकर उपचुनाव का रास्ता साफ कर दिया उस स्थिति में उनके लिए यहां पर संकट खड़ा हो गया है। पहले रावत ने सोचा था कि मंत्री बनने के बाद उपचुनाव में वे नाराज लोगों को मना लेंगे, मगर अब नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। रावत के खिलाफ भाजपा से चुनाव लड़े पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने रावत के भाजपा में आने को लेकर अब खुलकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह स्पश्ट कर दिया कि भाजपा उपचुनाव में उन्हें टिकट दे। उनका तर्क है कि सहारिया समाज से आते हैं। लंबे समय से भाजपा में हैं और कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा का झंडा बुलंद करते आए हैं। उन्होंने कहा कि रावत के आने से विजयपुर के भाजपा कार्यकर्ता खुश नहीं है। आदिवासी का कहना है कि रावत को कांग्रेस से भाजपा में लाने की जरूरत ही नहीं थी। उनके क्षेत्र में रावत के मतदाता तो सिर्फ पंद्रह हजार है, उससे ज्यादा तो हमारे मतदाता है।
बागी होकर लड़ूंगा चुनाव
पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने साफ कर दिया है कि अगर भाजपा उन्हें उपचुनाव में टिकट नहीं देती है, तो वह बागी होकर चुनाव लड़ेंगे और हो सकता है की दूसरी पार्टी की भी सदस्यता ले लें। उन्होंने कहा कि जब दुनिया ही बदल रही है, तो हमें बदलने में क्या कसर है, हम भी बदल जाएंगे। पूर्व विधायक ने कहा कि रामनिवास रावत को भाजपा में शामिल करके पार्टी ने बहुत बड़ी गलती कर दी है। जब विरोधियों को ही पार्टी में मिला लोगे, तो राजनीति का क्या मतलब है। मुख्यमंत्री रामनिवास रावत से अपना भाईचारा न निभाएं। अब भाजपा में हम आदिवासियों की पहले जैसी इज्जत नहीं रही।