ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों को नहीं मिलेंगे राष्ट्रीय पुरस्कार
राष्ट्रीय पुरस्कार के तय किए नए मापदंड
भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए पात्रता की नई शर्त तय कर दी है। इस शर्त में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सरकारी स्कूलों में पदस्थ ऐसे शिक्षक जो ट्यूशन भी पढ़ाते हैं, उन्हें अब राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नहीं चुना जाएगा।
नए मापदंडों के अनुसार मध्य प्रदेश बोर्ड से संबंधित स्कूलों की शिक्षक इसमें शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए राज्य स्तरीय समिति शिक्षकों का चयन करेगी। पहले इनका चयन जिला स्तरीय समिति के माध्यम से होगा। इसके बाद राज्य स्तरीय समिति इनका चयन करेगी। प्रत्येक आवेदक को उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट और नवाचार संबंधी कार्य की अभिलेख सामग्री और रचनात्मक क्रियाकलाप और प्रतिवेदन फोटोग्राफ ऑडियो वीडियो आदि ऑनलाइन अपडेट करने होंगे। जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा राज्य चयन समिति के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर तीन रिकमेंडेशन्स को 25 जुलाई तक भेजा जाएगा। वहीं, राज्य चयन समिति को 6 सिफारिशों को राष्ट्रीय चयन समिति के ध्यानार्थ भारत सरकार के पोर्टल पर 4 अगस्त तक ऑनलाइन भेजा जाएगा। दरअसल, यह नियम इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि 3 साल पहले प्रदेश से ऐसे शिक्षकों का नाम भेज दिया गया था। जिन्होंने स्कूल में पढ़ाया ही नहीं था। इसके बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।
ये शिक्षक माने जाएंगे अपात्र
शैक्षिक प्रशासक, शिक्षा निरीक्षक, और प्रशिक्षण संस्थान के कर्मचारी इन पुरस्कारों के लिए पात्र नहीं हैं। शिक्षक, मुख्याध्यापक को ट्यूशनों में शामिल नहीं होना चाहिए।, केवल नियमित शिक्षक और विद्यालय प्रमुख ही पात्र होंगे। संविदा शिक्षक और शिक्षामित्र पात्र नहीं होंगे।